मैं हूँ विक्की ! हरियाणवी हूँ, पर उड़ीसा में पला-बड़ा हुआ और मुंबई में जॉब करता था.... आज मैं दिल्ली में जॉब करता हूँ।
उम्र 24 साल,.पेशे से इंजिनियर, लम्बाई 6'2", वजन 68 किलो और देखने में मध्यम, पर बातें बहुत मीठी !
यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर ! आशा करता हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी।
बात उन दिनों की है जब मैं अपने इंजीनियरिंग के दूसरे साल में था, मेरे कॉलेज में नए जूनियर आये थे और हम पर रैंगिंग का भूत सवार था। हम लोग बस मौका ढूँढते थे कि कब मौका मिले और हम रैंगिंग ले किसी जूनियर की ! पर मुझे लड़कियों की चूचियाँ देखने में ही मजा आता था.. मैं रैंगिंग नहीं लेता था। मेरे दोस्त रैंगिंग लेते थे और मैं डेस्क पर बैठ कर आराम से चूची-दर्शन करता था। आप लोग समझ ही गए होंगे कि नेत्र चोदन में कितना मजा आता है।
खैर मैं अपनी कहानी पर आता हूँ !
उसी दौरान मैंने एक जूनियर लड़की मोना को देखा, कद 5'6", चूची मस्त गोल-गोल करीब 32 की, कमर 24 की, और कूल्हे 36 के ! उसको देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया, मेरे दोस्त उसकी रैंगिंग ले रहे थे और उससे डांस करने को कह रहे थे।
और वो सच में एक कमाल की डांसर थी। वो क्लास रूम में भी मस्त डांस कर लेती थी। मेरा मन उसे भोगने का होने लगा। मैंने अपनी योजना बना ली।
चूँकि मैं अपने कॉलेज का छात्र-प्रधान था, मुझे बहुत शक्तियाँ प्राप्त थी। उसी समय अक्टूबर में हमारे कॉलेज़ में वार्षिक-उत्सव होता है और मुझे इसी मौके की तलाश थी। मैंने बिना उसे बताये ही डांस के लिए उसका नाम दे दिया। जब उसने सूचि में अपना नाम देखा तो वो खुशी से पागल हो गई। पर उसे पता नहीं था कि यह काम मैंने किया है, तो उसके मन में यह जानने के लिए बहुत उत्सुकता थी कि उसका नाम किसने दिया है, पर मैंने अपनी फ़ील्डिंग बहुत अच्छी सेट की हुई थी इसीलिए मेरे किसी दोस्त ने उसे नहीं बताया।
खैर वो वार्षिक-उत्सव का दिन आ गया। उसने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और वो कॉलेज की नृत्य-सम्राज्ञी चुन ली गई।
उत्सव के आखिरी दिन मैंने अपने भाषण में उसकी जम कर तारीफ की और कहा- हमारे कॉलेज में ऐसे गुणियों के आ जाने से हमारा कॉलेज का नाम रोशन होगा। मैं धन्यवाद देना चाहूँगा रवि का जिसने इस प्रतिभा को ढूंढा है !
रवि मेरा दोस्त है, मैंने अपनी योजना कुछ ऐसे ही बनाई थी।
उत्सव के ख़त्म होते ही वह रवि से मिली और उसे धन्यवाद दिया पर रवि ने उसे कहा- धन्यवाद मुझे नहीं विक्की से बोलो क्योंकि तुम्हारा नाम उसने ही दिया था। और फिर रवि ने मेरे बारे में अच्छी खासी डींगें हांक दी उसके सामने कि "विक्की ऐसा है...विक्की वैसा है ...वगैरह-वगैरह !" और वो मुझ से प्रभावित हो गई थी।
अब मुझे बस इंतज़ार करना था उसके मुझसे मिलने आने का !
और मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। करीब एक घंटे बाद उसका फ़ोन आया मेरे मोबाइल पर !
मैं- हेलो, कौन?
वो- हेल्लो ! विक्की बोल रहे हो?
मैं- हाँ... आप कौन?
"मैं मोना !!...आपकी जूनियर ...आपने जो भी मेरे लिए किया, उसके लिए धन्यवाद !"
"अरे कुछ नहीं यार.. कॉलेज की प्रतिभा कि खोज निकालना और मौका देना मेरा काम है यार... इससे ही तो हमारे कॉलेज का नाम रोशन होगा। चलो अभी मैं व्यस्त हूँ.. बाद में कॉल करता हूँ !"
इतना कह कर मैंने फ़ोन काट दिया।
दो दिन बाद वो मुझसे मिलने कॉलेज में मेरे अड्डे पर पहुँच गई। रवि के साथ और मुझे फ़िर से धन्यवाद किया।
मैंने कहा- सिर्फ धन्यवाद से काम नहीं चलेगा.... एक पार्टी तो बनती ही है न !
उसने हँस कर पूछा- क्या चाहए पार्टी में?
मैंने कहा- बस एक कोल्ड ड्रिंक !
और फिर कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद मैंने उसे उसकी क्लास तक छोड़ दिया।
अब वो मुझ से आकर्षित हो चुकी थी....क्योंकि मैंने उसकी बहुत मदद की थी- उसके गुणों को सबके सामने लाने में, पढ़ाई में, हर चीज़ में....
धीरे-धीरे वो मेरे प्यार के जाल में फंस गई और हम कॉलेज में घंटों साथ बिताने लगे।
एक दिन उसने मुझे प्रोपोज कर ही दिया.. वो था दिसम्बर 24 और मैंने उसे हाँ कह दिया... हमारे प्यार की गाड़ी चल निकली।(हालाँकि मैं सिर्फ उसे चोदना चाहता था पर वो यह नहीं जानती थी)
फिर उस दिन मैंने उसके गाल पकड़ कर उसके माथे पर चूम लिया.. उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी......
फिर मैंने उसके गालों पर चूम लिया तो उसके गाल शर्म से लाल हो रहे थे....
और फिर मैंने उसको छोड़ दिया उसकी क्लास में ....
अब मैं बस मौके की तलाश में था। उसे पूरा यकीन हो गया था कि मैं उससे प्यार करता हूँ और मुझे उसके शरीर से कोई लेना देना नहीं है। वो मुझ पर पूरा भरोसा कर चुकी थी।
फिर नव वर्ष के दिन मैंने उसे एक डेट के लिए बुलाया....आर वो झट से मान गई.... उस दिन मैंने उसे चोदने का मन बना लिया था।
मेरे लिए वो लाल टॉप और जींस पहन कर आई थी और बाल उसके कूल्हों तक खुले हुए थे। क्या क़यामत लग रही थी वो !
मैंने इस डेट के लिए अपने दोस्त की कार ले ली थी। मैंने उसे उसके घर के पास से कार में बैठाया और मैं उसे लेकर में उड़ीसा के एक मशहूर पर्वतीय स्थल "देओगढ़" ले गया। वहाँ पर मेरे नाम पर पहले से ही एक कमरा बुक था। हम दोनों ने चेक-इन किया। फिर फ्रेश होकर हम घूमने चले गए। तब सुबह के दस बज रहे थे। फिर एक पहाड़ के ऊपर, जहाँ कोई नहीं था, वहाँ पर मैंने उसके गाल को चूम लिया !
वो शरमा गई !
फिर मैंने उसे कहा- आँखें बंद कर लो !
उसने कर ली !
मैंने इस डेट के लिए अपने दोस्त की कार ले ली थी। मैंने उसे उसके घर के पास से कार में बैठाया और मैं उसे लेकर में उड़ीसा के एक मशहूर पर्वतीय स्थल "देओगढ़" ले गया। वहाँ पर मेरे नाम पर पहले से ही एक कमरा बुक था। हम दोनों ने चेक-इन किया। फिर फ्रेश होकर हम घूमने चले गए। तब सुबह के दस बज रहे थे। फिर एक पहाड़ के ऊपर, जहाँ कोई नहीं था, वहाँ पर मैंने उसके गाल को चूम लिया !
वो शरमा गई !
फिर मैंने उसे कहा- आँखें बंद कर लो !
उसने कर ली !
मैंने उसके गालों को पकड़ कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए !
उसके होंठ कांप उठे ! और मैं उसके अधरों को पीने लगा। मेरा लण्ड उसके गरम तपते होठों की गर्मी से ही खड़ा हो गया और फिर मैंने उसके गले पर चूमा !
वो कुछ नहीं बोल रही थी, सिर्फ आँखें बंद करके होंठ दबा रही थी....
फिर मैं अपने हाथों से उसके पीठ को सहलाने लगा ! मेरा हाथ फिसल कर उसके कूल्हों पर जा रहा था....
और ऐसा करते ही वो मेरे से पूरी चिपक गई और उसके तने हुए स्तन मेरी छाती से टकरा गए। उसके चुचूक मेरी छाती में चुभ रहे थे और मेरा लण्ड उसकी चूत के ऊपर सटने लगा.....
पता नहीं उसको अचानक क्या हुआ- उसने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया और उसका जायजा लेने लगी, बोली- इतना बड़ा लण्ड ! ऐसा तो मैंने सिर्फ फिल्मों में देखा है !
मैंने पूछा- इससे पहले कभी लण्ड देखा है?
उसने बोला- बच्चों का देखा है और फिल्मो में देखा है !
और फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों के ऊपर रख दिया।
क्या कड़क चूचियाँ थी !
मेरा लण्ड एकदम फट जाने को हो रहा था। ऊपर से ही मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा।
वो बोली- धीरे करो... मुझे कुछ कुछ हो रहा है.... आज तक किसी ने मेरी चूचियों को नहीं छुआ है, तुम पहले हो जिसने मेरी चूचियों को हाथ लगाया है !
यह सुन कर मुझे जोश आ गया और मैंने जोर से उसकी चूचियाँ मसल दी.....
वो मचल उठी और उसने मेरा लण्ड दबा दिया, फिर मेरी पैंट की जिप खोलकर मेरे लण्ड को निकाल लिया और उसे अपने हाथ में पकड़ कर मुठ मारने लगी।
इतने में किसी को उस तरफ आता देख मैंने उसे कहा- कमरे में चलते हैं..
और हम कमरे में आ गए।
कमरे में आते ही मैंने उसे चूमना शुरु कर दिया और उसकी टॉप उतार दी।
उसने भी मेरी जिप खोल कर मेरा लण्ड निकाल लिया, एक स्केल ले आई और स्केल से मेरे लण्ड को नापने लगी। उसने नाप कर बताया 21 सेमी है....
और फिर उसने अपने हाथ से मेरे लण्ड की गोलाई नापी और उस गोलाई को स्केल पर उतारते हुए कहा- 12 सेमी है।
फिर उसने मेरी पूरी पैंट उतार दी और मेरे लण्ड को जोर जोर से सहलाने लगी..... और अचानक से ही उसके सुपारे पर चुम्मी ले ली.....
मैं सिहर उठा.....
और मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से उसके दूध दबा दिए.....फिर मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए और उसकी मस्त मस्त गोल गोल चूचियाँ मेरे सामने थी....
मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रहा था और मैंने उसके चुचूक को अपने मुँह में भर लिया और उसे बिस्तर पर लेटा दिया......
फिर मैं उसके पूरे जिस्म को चाटने लगा.....उसकी चूचियों को चूसते वक़्त मुझे ऐसा लगा कि मानो मैं स्वर्ग में हूँ !
एकदम गोरी, भूरे और कड़क चुचूक.......
फिर मैंने उसकी नाभि पर चूमा..... और धीरे से उसकी जींस उतार दी। अब वो केवल पैंटी में थी।
मैंने उसे भी निकाल फेंका...... अब वो जन्मजात नंगी थी मेरे सामने......
उसका बदन देख कर मेरा लण्ड बेताब हो रहा था उसकी चूत में जाने के लिए.......
मैंने किसी तरह खुद पर काबू रखा और उसकी चूत पर अपना मुँह सटा दिया। एक भी बाल नहीं था चूत पर ! गुलाबी चूत के ऊपर लाल रंग का भगनासा को देख कर मैंने उसे अपने मुँह में ले लिया और उसका रसपान करने लगा।
क्या मस्त कसैला स्वाद था.... मेरा मुँह पूरा कसैला स्वाद से भर चुका था......पर मुझे बहुत मजा आ रहा था......
उसकी हालत मुझसे भी ज्यादा पतली थी और वो आह उंह करके सिसकारियाँ भर रही थी। अचानक ही उसने मेरे बाल पकड़ कर अपनी चूत से मेरे मुँह को सटा लिया और जोर जोर से कमर उछालने लगी।
वो स्खलित हो रही थी....और मेरे मुँह पर अपना सारा माल निकाल रही थी। मुझे थोड़ा अजीब लगा पर उसकी गंध मुझे बहुत अच्छी लगी और मैंने उसे चाट लिया।
फिर मैं उसके ऊपर बैठ गया और उसके मुँह में अपना लण्ड ठूंस दिया। वो उसे लॉलीपोप की तरह चूसने लगी....
जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने अपना लण्ड निकाल लिया उसके मुँह से और फिर मैंने थोड़ी सी क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगा दी। उंगली अंदर-बाहर करके क्रीम उसकी चूत के अन्दर भी लगा दी। उंगली बड़ी दिक्कत से अन्दर जा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दो उंगलियाँ अंदर करनी शुरु की और मुझे कामयाबी मिल गई। जब मैंने अपनी दो उंगली जाने के लिए पर्याप्त रास्ता बना लिया तो मैं चुदाई के लिए तैयार था।
अब मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर जैसे ही रखा, उसके मुँह से सिसकारी छुट पड़ी और वो कहने लगी- हाय राम ! इतना बड़ा मेरी में नहीं जायेगा.....
मैंने कहा- ठण्ड रखो डार्लिंग .... आराम से जायेगा....बस हल्का सा सब्र रखो !
फिर मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसके चूत के दरवाजे पर सटा कर हल्का सा धक्का दिया। चूत चिकनी होने के कारण मेरा सुपारा गप्प करके उसकी चूत के अन्दर चला गया और वो चिहुंक उठी, उसने कहा- निकाल लो !
पर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने उसके चुचूक को अपने मुँह में लेकर एक और धक्का लगा दिया और मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में चला गया। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे और वो कहने लगी- मुझे छोड़ दो !
मैं नहीं माना और मैंने और एक धक्का जड़ दिया।
वो और जोर से रोने लगी....
और मैंने उसकी परवाह न करते हुए एक जोरदार झटका मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसकी चूत से खून निकलने लगा और मैं उसी मुद्रा में उसके चुचूक चूस रहा था।
थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो मैंने अपना पूरा लण्ड बाहर निकाल लिया और फिर से सेट करके एक धक्के में आधा लण्ड पेल दिया..दूसरे धक्के में लण्ड पूरा अंदर था......और वो चिल्ला रही थी........आह उह ...पर वहां उसकी पुकार सुनने वाला कोई नहीं था... मैं इत्मिनान से धक्के मार रहा था......इस बार मैंने अपना लण्ड फिर से बाहर निकाला और एक ही धक्के में पूरा पेल दिया.....
अब लण्ड के जाने का रास्ता बन चुका था......
फिर मैंने धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ा दी... अब मेरा लण्ड आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था और वो वह गांड उछाल-उछाल कर साथ दे रही थी, पूरा कमरा फ़च्छ-गच्च्छ की आवाजों से गूंज रहा था, वो मजे ले रही थी और बोल रही थी- वाह विक्की वाह.... क्या लण्ड पाया है.... बहुत मजा आ रहा है.... चोदो और चोदो.... फाड़ डालो मेरी चूत को... आःह्ह्ह... ....येआ आह्ह... आआस्स्श.... ऊउह्ह.....
फिर करीब 30 मिनट के बाद मेरा लण्ड अकड़ने लगा और उसकी चूत भी अकड़ने लगी...
और हम दोनों ने अचानक ही एक दूसरे को जोर से जकड़ लिया....
हम दोनों एक साथ स्खलित हुए....
और मैंने अपना सारा माल उसकी चूत के अन्दर छोड़ दिया और वो अपनी गांड को गोल-गोल घुमा कर मेरा रस अपनी चूत में लेने लगी। हम दोनों इसी अवस्था में लेटे रहे। और जब हम उठे तो देखा कि चादर पर बहुत सारे खून के धब्बे हैं।
दोस्तो, मुझे मेल करें अपने विचार इस कहानी के बारे में... मुझे आपके ख़त मिलेंगे तो मैं और लिखने का प्रयास करूँगा। आपके ख़त मुझे और लिखने की प्रेरणा देंगे...