बदले की आग -3

अगले दिन दोपहर का समय था, मैं पास के एक काम्प्लेक्स में खड़ा था, तभी राखी उधर आई तो मुझे देखकर मुस्कराई, राखी से मैंने पूछा- किस काम से आई हो?

राखी बोली- मेरे पति को अगले महीने ट्रक पर जाना है, मालिक एक बार ट्रक पर जाने के लिए ट्रक के खर्चे के पच्चीस हजार देता है कल मालिक का नौकर अगले टूर के लिए मुझे और मुन्नी को रुपए दे गया है। अभी 15 दिन हैं जाने में तो पैसे बैंक में जमा कर देती हूँ, घर में चोरी का डर रहता है। मुन्नी तो पैसे अपने घर में ही रखती है।

इसके बाद राखी धीरे से बोली- तुमसे चुदने का मन कर रहा है।

मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ ! शाम को भाभी के घर पर आ जाना, मुझे भी ख़ुशी होगी तुम्हें चोद कर ! उस रात तो मज़ा आ गया था।

राखी बोली- मेरा पति शक्की है, उस दिन तो मेहमान आ गए थे इसलिए मौका मिल गया था। कहीं बाहर चलकर मज़े करते हैं।

हम दोनों ने दो दिन बाद एक जगह मिलने का वादा कर लिया। दो दिन बाद राखी को लेकर मैं एक अड्डे पर चला गया जहाँ दो सौ रुपए में दो घंटे को कमरा मिलता था। राखी और मैंने चुदाई का मज़ा लिया।

इसके बाद राखी मेरी गोद मैं बैठकर बतियाने लगी तो मैंने कुसुम और मुन्नी की बात छेड़ दी। बातों बातों में राखी ने बताया कि दो दिन पहले मेरे जाने के बाद कुसुम पोस्ट ऑफिस के पास मिली थी काफ़ी रुपए मनी आर्डर कर रही थी। रेलवे कलोनी में एक के घर काम करती है उससे पच्चीस हजार रुपए उधार लिए थे। कुसुम के भाई और बाप जेल में हैं, गाँव में एक लफड़ा हो गया था, उसके भाई ने एक आदमी को मार दिया था समझौते के लिए पचास हजार की बात हुई है। पच्चीस हजार की और जरूरत बता रही थी। मुझसे ट्रक वाले रुपए मांगने लगी। मैंने कान पकड़े और वहाँ से भाग ली।

उसने मुझे मुन्नी और कुसुम के बारे में कई बातें बताई, उसने बताया कि एक बार मुन्नी का हाथ टूट गया था तो 15 दिन कुसुम ने मुन्नी के यहाँ खाना बनाया था। मैंने राखी की निप्पल उमेठते हुए कहा- तुम कुसुम से बोलो कि मुन्नी के पास रुपये हैं, ले ले।

राखी हँसते हुए बोली- मुन्नी का पति उसका गला दबा देगा अगर उसने ट्रक के पैसे कुसुम को दे दिए। सौ-सौ रुपए के लिए पीट देता है मुन्नी को।

मैंने राखी के होंट चूसते हुए कहा- तुम उसे एक बार बता दो कि मुन्नी के पास पैसे रखे हैं, बदले में ये 500 रुपए रखो !

और मैंने राखी को 500 रुपए दे दिए।

राखी बोली- ठीक है, कल ही बोल देती हूँ।

उसके बाद एक बार हमने चुदाई का खेल और खेला और अपने घर को वापस हो लिए।

मेरे कहे अनुसार भाभी ने मुन्नी से दोस्ती कर ली। मैंने भाभी से कहा- मेरी पहचान भी मुन्नी से करा दो, तभी कुतिया से तुम्हारी बेइज्ज़ती का बदला लिया जा सकेगा।

गीता ने एक दिन मुन्नी को चाय पर बुला लिया। जब मैं ऑफिस से आया मुन्नी और गीता चाय पी रही थीं। गीता ने मेरा परिचय मुन्नी से कराया और बोली- यह इनका चचेरा भाई है।

मैं मुन्नी का बदन घूर घूर कर देखने लगा, पूरा नई नवेली औरत जैसा था। जवानी का रस टपक रहा था ब्लाउज के अंदर से सफ़ेद ब्रा दिख रही थी। मुन्नी को चोदने के लिए मेरा लण्ड परेशान होने लगा था। मुन्नी से मेरी भी बातचीत होने लगी मैंने मुन्नी को बताया- मुंबई में पच्चीस हजार की नौकरी कर रहा हूँ।इस बीच मैंने अपनी जेब से एक सौ की गड्डी निकाली और आँख दबाते हुए बोला- भाभी, ये दस हजार रुपए हैं, रख देना जरा।

5-6 दिन बाद शाम को भाभी ने बताया- आज मुन्नी परेशान सी घूम रही थी। राखी बता रही थी कि किसी ने इसके पच्चीस हजार रुपए चुरा लिए हैं।

गीता भाभी खुश थीं, बोलीं- बड़ा मज़ा आया ! रंडी सबसे उधार मांग रही है, कोई सौ रुपल्ली देने को भी तैयार नहीं है। इस चाल में भी आई थी और मेरे सामने से भी निकली थी, रोते हुए बोली कि उसने एक लिफाफे में पैसे रखे थे, चोरी हो गए दो दिन बाद ये आएँगे तो पीट पीट कर बुरी हालत कर देंगे।

मैंने मौका देखकर गीता के चूतड़ दबाए और बोला- भाभी, अब मेरा खेल देखो। राखी से कहो वो मुन्नी को बोले कि राकेश भैया से पैसे उधार मांगे तो मिल सकते हैं।

गीता बोली- तुम क्यों दोगे?

मैंने स्तन दबाते हुए एक पप्पी गीता को दी और बोला- इसकी चूत जो आपके सामने मारनी है ! आपको बदनाम किया था न इसने ! और आपके दो हजार भी तो वापस दिलाने हैं।

भाभी ने राखी से मुन्नी को कहला दिया कि अगर राकेश भैया से पैसे मांगे तो मिल सकते हैं।

अगले दिन रविवार था, भाभी अकेले हाट चली गई थी, योजना के मुताबिक राखी ने मुन्नी को बता दिया कि मैं घर पर अकेला हूँ। मौका देखकर मुन्नी अंदर आ गई, आज अच्छी तरह सजी थी। नाभी के काफी नीचे उसने पेटीकोट बांध रखी थी पूरा चिकना पेट और गर्भ प्रदेश दिख रहा था, मुझे देखकर बोली- भाभी नहीं हैं?

मैंने कहा- आ रही होंगी, आप बैठो !

वो सामने पड़ी खाट पर बैठ गई। मैं किताब पढ़ने का नाटक करने लगा। इस बीच उसने बड़ी मीठी आवाज़ में कहा- भैया, आप मेरी मदद कर दो न।

मैंने अनजान बनते हुए उसकी तरफ देखा और कहा- कैसी मदद?

उसने उठ कर दरवाज़ा बंद किया और जानबूझ कर साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया, पूरी चूचियाँ नंगी दिख रही थीं, ब्रा उसने पहनी नहीं थी, पारदर्शी ब्लाउज का सिर्फ एक बटन लगा था। उसकी काली निप्पल और उसके तने हुए स्तनों ने तो मेरे लोड़े में आग लगा दी। मुन्नी बोली- राखी कह रही थी कि आप मुझे रुपए दे सकते हैं, प्लीज़ मुझे पच्चीस हजार उधार दे दीजिए न, आप ही मुझे अब बचा सकते हैं।

अपनी गोल नाभि में उंगली घुमाते हुए बोली- आप जो कहेंगे वो मैं करने को राज़ी हूँ।

मुर्गी फंसने वाली थी, मैंने आँख मारते हुए उसके स्तनों की तरफ इशारा करते हुए कहा- आपके संतरे बहुत सुंदर हैं।

उसने अपने ब्लाउज का एकमात्र बटन भी खोल दिया और बोली- आप चूस कर देखिये न बहुत मज़ा आएगा।

मस्त स्तन मेरे सामने खुले हुए थे, मैं अपने को रोक नहीं पाया और आगे बढ़कर उन्हें अपने हाथों में भर लिया। उसकी नंगी चूचियाँ कस कर दबाते हुए दोनों चूचियाँ बारी बारी से मुँह में भर कर कई बार चूसीं।

मुन्नी 25-26 साल की जवान गरम औरत थी, उसने मेरा लण्ड गीला कर दिया था। चूचियाँ दबाने के बाद मैंने उसकी नाभि और पेट को होंटों से चाटा और बोला- आप जैसी सुन्दर रस भरी औरत को मना तो नहीं कर सकता पर अभी मेरे पास सिर्फ पांच हजार जमा हैं। मुन्नी रोने का नाटक करती हुई बोली- आप मुझे पच्चीस का इंतजाम करा दो बदले मैं आप मेरा पूरा रस पी लेना, पूरा मज़ा आपको दूँगी, आप कहोगे तो मुँह में भी ले लूँगी।

मेरा मन ख़ुशी से उछल उठा, मैंने कहा- सच? जल्दी से मुँह में लो, अब रहा नहीं जा रहा, आज तक किसी ने मेरा लोड़ा नहीं चूसा है। आगे बढ़कर मुन्नी ने चेन खोलकर मेरा लोड़ा पैंट से बाहर निकला और बिना देर किये अपने मुँह में भर लिया और बड़े प्रेम से चूसने लगी।

इस बीच मैंने उसकी साड़ी पीछे से उठा कर नंगे चूतड़ दबाने शुरू कर दिए, उसकी गांड में एक उंगली भी घुसा दी, बड़ी टाईट गाण्ड थी। मुन्नी बड़े प्यार से दस मिनट तक लण्ड चूसती रही, मुझे उसने पूरा मज़ा दिया। उसके बाद वो पूरा रस मुँह में गटक गई।

मैंने उसे उठाकर अपने से चिपकाया और बोला- अभी तुम ये पांच रखो और कल मुझे लोकल स्टेशन पर 12 बजे मिलो, वहाँ ठीक से बात करते हैं।

मुन्नी पाँच हजार रुपए लेकर वहाँ से चली गई।

अगले दिन स्टेशन पर जब मैं 12 बजे पहुँचा तो मुन्नी सजी धजी साड़ी में खड़ी थी, मुझे देख कर मुस्कराई, हम दोनों एक कोठी में चले गए। कोठी में मेरे जानकार गार्ड ने दो सौ रुपए लेकर हमें एक प्राइवेट जगह पर खुले में बैठा दिया और एक चटाई बैठने के लिए दे दी और मुझसे बोला- जो मन में आए, वो कर लो, एक घंटे तक आसपास कोई नहीं आएगा।

उसके जाने के बाद मुन्नी मेरी गोदी में उछल कर बैठ गई, उसका ब्लाउज मैंने खोल दिया और उसके उभारों पर हाथ फेरते हुए बोला- पहले थोड़ा प्यार हो जाए।

मुन्नी ने मेरे होंटों में होंट लगा दिए और हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसा कर एक दूसरे को चूसने लगे। मुन्नी के होंट चूसते हुए मैंने मुन्नी की चूचियाँ दबा दबा के कड़ी कर दीं, मुन्नी ने भी मेरी पेंट खोलकर लोड़ा बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी, आह भरती हुई बोली- आपका तो बहुत मोटा है।

मेरा हाथ उसकी साड़ी के अंदर घुस गया था, उसकी चड्डी में हाथ डालते हुए मैं उसकी चिकनी चूत सहलाने लगा, साथ ही साथ उसकी चूत का दाना रगड़ने लगा, उन्माद में बोला- वाह, क्या चिकनी और फूली हुई चूत है रानी।

मुन्नी सिसकारियाँ लेती हुई बोली- निगोड़ी को चोद दीजिए न ! आज सुबह उठकर आपके लिए ही चिकनी करी है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने कहा- मुन्नी जान, पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद खोलती है, अब जल्दी से अपनी चड्डी उतारो और अपनी चूत को चौड़ा करो, फिर तुम्हें जन्नत का मज़ा दूँगा।

मुन्नी चटाई पर लेट गई और अपनी चड्डी उतार कर उसने साड़ी और पेटीकोट ऊपर तक उठा दिया, सामने उसकी पाव भाजी की तरह फूली हुई गुदाज़ चूत दिखने लगी, अब अपने पर काबू रखना मुश्किल था, मैंने लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया। मुन्नी पूरी गरम थी, बिना देर किये उसने नीचे सरकते हुए लण्ड चूत में डलवा लिया और सिसकारियाँ भरते हुए बोली- आह, चोदो न ! बड़ा अच्छा लग रहा है, क्या मोटा लण्ड है।

उसकी चूत में लण्ड पेल कर मैंने चुदाई शुरू कर दी। वो गर्म आहें भर रही थी और चुदने का पूरा मज़ा ले रही थी। खुले में मुन्नी की चुदाई का अलग ही मज़ा आ रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने अपनी टांगें मेरी पीठ पर मोड़ लीं और ढेर सारा पानी छोड़ दिया, उसकी बुर झड़ गई थी। मैंने उसे उठा दिया, मेरा लण्ड अभी गर्म था, अबकी मैंने उसे आधा लेटा कर घोड़ी बना दिया और उसकी चूत में पीछे से अपना लोड़ा लगा दिया, दोनों चूचियाँ हाथों से दबाते हुए खुले में उसकी चोदने लगा, वो मस्ती भरी उह… आह… ऊई… से अपनी ख़ुशी जाहिर करने लगी।

कुछ देर चोदने के बाद मैंने वीर्य उसकी चूत में भर दिया।

कपड़े सही करने के बाद मुन्नी मुझसे चिपक गई और बोली- आप मुझे उधार पैसे दे दो, मैं हर महीने हज़ार हजार करके चुका दूंगी। मैंने उसका हाथ दबाते हुए कहा- मुझे क्या फायदा होगा?

मुन्नी बोली- आप जो कहोगे वो करने को मैं तयार हूँ। अगर मुझे पैसे नहीं मिले तो मैं बर्बाद हो जाऊँगी।

उसने बोलना जारी रखा, वो बोली- रसोई में मैंने संभाल कर दाल के डिब्बे में पैसे रखे थे, पता नहीं कौन ले गया। जब दो दिन पहले मैंने देखा तो खाली लिफाफा रखा था।

'तुम किसी उधार देने वाले साहूकार से उधार क्यों नहीं ले लेतीं?'

मुन्नी रोते हुए बोली- साहूकार तो बुरी तरह लूट लेते हैं, एक बार इन्होंने दो हजार लिए थे, पूरे पांच हजार लौटने पड़े कुछ ही महीने बाद। सबको यह भी पता है कि हम पर पैसों की तंगी है। मेरी एक सहेली अंजना तो दस हजार के उधार के चक्कर में इतनी बुरी फंसी की उसके पति ने ही उससे परेशान होकर उसे कोठे पर बेच दिया। इन्हें पता चल गया तो ये भी मुझे कोठे पर बेच देंगे, पहले भी एक बार मैं इन्हें पाँच हजार का चूना लगा चुकी हूँ। बाप रे ! रंडी बनने से तो अच्छा है आपसे ही चुद लूँ। मैं वादा करती हूँ आपको अभी जैसा मज़ा दिया उससे भी ज्यादा जब भी आप कहोगे, तब दूंगी और पैसे भी लौटा दूंगी।

मुन्नी को झूठी सहानभूति दिखाते हुए मैंने कहा- दस हजार रुपए भाभी के पास रखे हैं, बाकी रुपए मुझे उधार लेने पड़ेंगे। मैं पैसे का तो इंतजाम कर दूंगा लेकिन तुम्हारा विश्वास कैसे करूँ?

मैंने कहा- भाभी ने मुझे तुम्हारे बारे में सब बता दिया है किस तरह से तुमने उन्हें बेइज्ज़त करके चाल से निकलवा दिया था।

मुन्नी रोते हुए बोली- हाँ, मुझसे गलती हो गई थी। गीता के चिंटू से सम्बन्ध बहुत पहले से हैं। गीता उससे चुदती रहती थी। मैं कुसुम को अपने पास कमरा दिलवाना चाहती थी। उस दिन हमने और कुसुम ने प्लान करके रंगे हाथों चुदते हुए पकड़ लिया। उधर से मुकुंद सेठ आ गए और उन्होंने घर खाली करने को कह दिया साथ ही साथ चुप रहने के बदले अपना लोड़ा भी गीता को हम दोनों के सामने चुसवाया। दो हजार रुपए मैंने भी चुप रहने के ले लिए थे, मैं उन्हें वो दो हजार रुपए वापस कर दूंगी।

मैंने कहा- भाभी मुझे इतने प्यार से रखती हैं, उनकी सहमति के बिना मैं और पैसे तुम्हें नहीं दूंगा और अपनी प्यारी भाभी की बेइज्ज़ती का बदला तो लेना ही पड़ेगा। भाभी की कुछ शर्तें हैं, अगर तुम उनकी बात मान लोगी तो मैं तुम्हें पैसे के साथ साथ एक सुंदर इनाम भी दूँगा, तुम खुश हो जाओगी। शाम को तुम मोहन भैया के आने से पहले भाभी से मिलो।मुन्नी बुझे हुए चेहरे के साथ बोली- ठीक है, शाम को आती हूँ।

कहानी जारी रहेगी।

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