पड़ोसी दोस्त की बहन की प्यास

एक बार फ़िर मैं अपने जीवन की सच्ची कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ। नये पाठकों के लिये मेरा परिचय फ़िर से-
मेरा नाम मनोज है, 28 साल का हूँ, दिखने में ठीक-ठाक हूँ। मेरा लण्ड किसी भी लड़की या औरत की चूत को गीली कर सकता है।
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। जैसा कि मेरे माँ-पापा नहीं हैं, मैं मेरे चाचा-चाची के साथ रहता हूँ, उन्हें मेरे से कुछ खास मतलब भी नहीं रहता है कि मैं क्या करता हूँ। मैं दूसरे माला पे रहता हूँ, मेरे चाचा-चाची नीचे के मालो पे।
बात आज से छः महीने पहले की है। मेरे घर के कुछ दूर पड़ोस में कबीर (काल्पनिक नाम) रहता है। उससे मेरी अच्छी खासी बात होती है, मेरा उसके घर और उसका मेरे घर आना-जाना होता रहता था। उसकी दो बहनें है- सुरैना और सुरैया। सुरैना की शादी हो चुकी है और सुरैया इन्टर में पढ़ती है। उसका विषय जीव-विज्ञान था लेकिन उसे गणित भी पढ़ना था क्योंकि वो ऐच्छिक पेपर था।
सुरैया के बारे में बता दूँ- सुरैया एक ठीक-ठाक दिखने वाली, अच्छे उभार वाली लड़की थी। उसकी उम्र 18 साल और उसका फीगर कुछ 34-26-34 था। मेरे मुहल्ले में मेरे गणित के बारे में सबको पता था। कबीर ज्यादा पढ़ा नहीं था। तो उसने मुझे सुरैया को गणित पढ़ाने के लिये बोला।
मैंने कबीर से बोला- भई, तू तो जानता है ना, मेरे पास समय कितना कम रहता है, पैसे कमाने के जद्दोजहद में कैसे लगा रहता हूँ।
कबीर- हाँ भाईजान, मैं जानता हूँ और मैं फ्री में पढ़ाने को नहीं बोल रहा हूँ, तेरी जितनी फीस होती है तू ले लेना।
मैं- अरे भई, मैं पैसे के लिये नहीं बोल रहा हूँ, मैं अपने स्थिरता के बारे में बोल रहा था, खैर… बोल, कहाँ पढ़ाना है।
कबीर- तू देख ले, तू कहाँ पढ़ा सकता है, मैं बोलता कि तू अपने घर पर ही बुला के पढ़ा दे, मेरे यहाँ बहुत हल्ला होता है।
मैं- नहीं, तेरे यहाँ ही आकर पढ़ा दूँगा।
कबीर- तू सोच ले, तू यहाँ नहीं पढ़ा पायेगा, फिर भी कब से और कितने बजे से आयेगा?
मैं- दोपहर में खाना खाने के बाद, कल से, तू सुरैया को बोल देना।
कबीर- उसी ने बोला था कि मैं तेरे से बात करूँ उसे गणित पढ़ाने के लिये, तो तेरे से बोला।
मेरा माथा ठनका। मुझे यह तो पता था कि सुरैया मुझे पसन्द करती थी, पर मैं उस बारे में ज्यादा नहीं सोचता था। खैर… अगले दिन दोपहर खाना खाने के बाद मैं कबीर के यहाँ गया, कबीर अपने दुकान पर था जो कि घर के बगल में ही थी, वो मुझे देख कर बोला-  तू अन्दर चला जा !
मैं अन्दर चला गया, देखा कि सुरैया अपनी अम्मी के साथ बैठी थी।
मुझे देख कर सुरैया बोली- चलिये, पढ़ने वाले रूम में चलते हैं।
मैं आंटी को नमस्ते कर सुरैया के पीछे-पीछे चल दिया। हम अन्दर उसके पढ़ने वाले कमरे में चले गये। मैं वहाँ उसे पढ़ाने लगा। तभी कमरे के बाहर से चिल्लाने की और झगड़ने की आवाज आने लगी। कबीर का भाई सुल्तान अपने भाई और अपनी अम्मी से लड़ रहा था।मैं सुरैया की तरफ देखने लगा, वो सर झुका के रोने लगी और बोली- मैं इसीलिये ठीक से नहीं पढ़ पाती हूँ, कबीर भाई भी यह बात जानते हैं, तभी मैं उनसे बोली थी कि आप मुझे अपने घर पर पढ़ा लीजिये, लेकिन आप ही नहीं माने।
मैं- मुझे नहीं पता था कि ऐसा होता है तुम्हारे यहाँ, अगर यह पता होता तो मैं तुम्हे अपने यहाँ ही बुला लेता और कबीर भी मेरे से ये बात नहीं बताया। खैर, मैं बात करूँगा, और तुम ऐसी छोटी-छोटी बातों पे रोया नहीं करो।
मैं बाहर निकला, तो कबीर मुझे लेकर बाहर आया और बोला- मैं तुझसे इसीलिये बोल रहा था कि तेरे यहाँ ही पढ़ा दे, यहाँ सुरैया को पढ़ाई का माहौल नहीं मिलता।
मै- अबे, तो तुझे पहले ही मुझे साफ-साफ बोलना चाहिये था, ना तू खुल के बोला और ना मैं समझ पाया। तेरे यहाँ तो हालात और भी बिगड़ गई है। कल से अगर सुरैया इसी समय मेरे यहाँ आ सकती है तो मैं उसे अच्छे से पढ़ा पाऊँगा।"
कबीर- ठीक है।
और मैं वहाँ से निकल गया।
अगले दिन ठीक समय से सुरैया आ गई। लेकिन आज वो कुछ अलग लग रही थी, क्योंकि आज वो काफी अच्छे से तैयार होकर आई थी। गुलाबी रंग का सूट पहन के आई थी।
मैं पूछा- घर पे तो तू ऐसे तैयार नहीं रहती है?
"नहीं !" वो बोली।
"अच्छी लग रही हो !" मैं बोला।
वो शरमा गई, उसके गाल गुलाबी हो गये और वो अपना सर नीचे कर के मुस्कुराने लगी तो मैं बोला- पढ़ाई शुरू करें?
सुरैया ने सहमति में सर हिलाया लेकिन पता नहीं ना तो उसका पढ़ने में मन लग रहा था और ना ही मेरा पढ़ाने में ! तो मैं बोला- आज मेरा पढ़ाने का मन नहीं हो रहा है।
तो वो तपाक से बोली- मेरा भी आज पढ़ने का मन नहीं हो रहा है, कुछ बात करें?
"आपकी गर्लफ्रेन्ड है?" वो बोली।
मैं चौंक गया और बोला- अभी नहीं है, लेकिन पहले थी। क्यों?
वो मुझे देखकर मुस्कुराई और बोली- नहीं, कुछ नहीं, बस ऐसे ही जानने के लिये।
"तुम्हारा कोई ब्वायफ़्रेन्ड है?" मैंने पूछा।
वो मेरी तरफ देखी और बोली- है, लेकिन मैंने उसे अभी तक बताया नहीं ! पता नहीं जब मैं उसे बोलूँगी तो कैसे रिएक्ट करेगा, डर लगता है।
"जो भी है, जब तक नहीं बोलोगी तो उसका रिएक्शन कैसे पता चलेगा?" मैं बोला।
"ठीक कहते हैं आप ! जब तक मैं बोलूँगी नहीं, तो पता कैसे चलेगा?" वो बोली और एक गहरी साँस लेकर मेरी तरफ देखते हुए बोली- "आई…लव… यू !"
यह सुनकर मैं उसे देखता रह गया, फिर पूछा- यह क्या था? तुम मुझसे प्यार करती हो? कब से, यह कैसे हो गया?"
वो बोली- मैं नहीं जानती, यह सब कैसे हो गया, लेकिन यह सच है कि मैं आपसे प्यार करने लगी हूँ, आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं।
मैं चुप था तो वो बोली- मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
मैं बोला- ऐसी कोई बात नहीं है, तुम भी मुझे अच्छी लगती हो लेकिन मैंने कभी तुम्हारे बारे में ऐसा कुछ सोचा नहीं है, और ऊपर से तुम मेरे अच्छे दोस्त की बहन हो।
वो बोली- आपके दोस्त की बहन हूँ तो मुझे आपसे प्यार नहीं हो सकता? मेरे भाई को तो मेरी सहेली से प्यार हो गया है, तो?
हम दोनों चुप थे तो वो अचानक से उठ के मेरे पास आई और मुझे गले लगा लिया और बोली- मैं आपसे प्यार करती हूँ, आप मेरा दिल मत तोड़ो।
यह सुनकर मैंने भी उसे अपने बाँहों में भीच लिया। फिर वो थोड़ा कसमसाई तो मैंने ढीला छोड़ा, उसने अपना चेहरा ऊपर करके मेरे होठों को चूम लिया।
मैं मुस्कुराया और उससे बोला- चुम्मी ऐसे करते हैं?
तो वो थोड़ा शरमाई और चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया। तो मैंने उसका चेहरा ऊपर किया, हमारी साँसें आपस में टकराने लगी, अजीब सा नशा होने लगा था हमें, उसने मेरी आँखों में देखा और अपनी आँखें बन्द कर ली, और उसके होंठ खुल गये, जैसे कह रहे हो कि अब चूम लो मुझे।
मैंने अपने होंठ उसके होठों सटा दिये और उसे चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। अब हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। चुँकि वो मेरे घर पे मेरे कमरे में थी, तो हमें किसी का भी डर नहीं था। उसने मेरा टी-शर्ट निकाल दिया और मेरे गले लग गई। मैं उसे फिर चूमने लगा।
मेरे हाथ उसके गले से होते हुये उसके वक्ष पर आ गये। क्या उरोज थे उसके, एकदम कड़े, अनछुये। मैं उसके स्तनों को सहलाने लगा, तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी, जो मेरे उत्साह को बढ़ाने लगे, मैं और तेजी से उसके उभारों को मसलन लगा, तो वो बोली- आह… अह… आआह्ह्ह… प्लीज धीरे, दर्द हो रहा है।
मैं रूका नहीं, उसे चूम रहा था और उसके चूचे मसल रहा था। वो सिसकारियाँ लिये जा रही थी, वो सुनकर मैं और उत्तेजित हुआ जा रहा था। मैंने एक झटके में उसकी कुर्ती और सलवार को निकाल दिया। अब वो मेरे सामने केवल गुलाबी रंग की ब्रा और उजले रंग की पैन्टी में थी और वो मुझे कमाल की सेक्सी लग रही थी। मैंने अपने भी कपड़े उतार दिये।
अब हम दोनों केवल अपने अंतःवस्त्रों में थे और एक-दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे। मैंने उसका एक हाथ अपने लण्ड पर रखा तो उसने हाथ हटा दिया और बोली- इतना बड़ा?
मैं मुस्कुराया और उसका हाथ फिर से अपने लंड पर रखा, इस बार वो मेरे लंड को चड्डी के ऊपर से ही सहलाने लगी। यह देखकर मैं अपने एक हाथ से उसके चुचे मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहलाने लगा।
वो चिंहुक उठी और मुझे कसकर बाहों में भींच कर सिसकारने लगी। हमारे होंठ आपस में जुड़े हुये थे तो उसकी सिसकारी होंठों के बीच में ही दब गई।
थोड़ी देर चूत को ऊपर से सहलाने के बाद, मैं अपना हाथ उसके पैन्टी के अन्दर ले गया तो वो और भड़क गई और मुझे और कसकर पकड़ लिया। मैंने उसका हाथ अपने चड्डी के अन्दर कर दिया तो वो उत्तेजना में मेरे लन्ड को पकड़कर जोर-जोर से सहलाने लगी।
मेरी उत्तेजना और बढ़ने लगी। मैंमे उसे पकड़कर बेड पे धक्का दे दिया, वो बेड पे गिर गई और मैं उसके ऊपर चढ गया और उसे किस करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और हम साथ-साथ चूत और लन्ड को मसल भी रहे थे। उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और मैं भी बहुत उत्तेजित हो गया था।
मैं उससे बोला- बेबी, मेरा लन्ड चूसो ना।
वो बोली- छीः नहीं मैं वो नहीं करूँगी।
मैं बोला- करो ना, तुम्हें भी अच्छा लगेगा और मुझे भी।
वो बोली- आपको अच्छा लगेगा?? लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन अगर आपको अच्छा लगेगा तो कर दूँगी लेकिन ज्यादा नहीं।
इतना बोल कर वो मेरे लन्ड को पहले सूँघने लगी और फिर जीभ निकालकर मेरे लन्ड को चाटने लगी, फिर मेरे लन्ड को पूरा मुँह में चूसने लगी। मेरे मुँह से मस्ती में आहे निकलने लगी। 2-3 मिनट मेरा लन्ड चूसने के बाद वो 'बस' बोलकर ऊपर आ गई और हम फिर चूमाचाटी करने लगे।
फिर मैंने सुरैया से पूछा- तैयार हो? पहली बार है तो तुम्हें दर्द होगा !
तो वो मुझे मुस्कुराकर देखने लगी और उसने हाँ में सर को हिलाया।
मैंने पूछा- बर्दाश्त कर लोगी ना?
उसने फिर हाँ में सर को हिलाया। मैं अब पूरी तरह से उसके ऊपर आ गया कि मेरा लन्ड उसकी चूत से रगड़ खाने लगा। मैंने थोड़ी देर ऐसे ही अपने लन्ड को उसकी चूत पे रगड़ा।
उसकी उत्तेजना बढ़ रही थी और वो 'आह्ह्ह आह्ह' कर रही थी। फिर मैंने एक झटके के साथ ही अपने लन्ड को सुरैया की चूत में पेल दिया और दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई और उसकी चूत से खून भी निकलने लगा।
वो चिल्लाने लगी- बाहर निकालिये… आह्ह्ह… मर जाऊँगी… बहुत दर्द हो रहा है।
मैं बोला- अभी यह दर्द सह लो, बाद में तुम्हें अच्छा लगेगा और मजा आयेगा।
वो वोली- अभी तो दर्द हो रहा है ना !
मैं बोला- अभी हिलो नहीं ! जितना हिलोगी, अभी उतना ही दर्द करेगा !
उसने हिलना बंद किया, 2-3 मिनट के बाद सुरैया का दर्द कम हुआ तो वो नीचे से अपने कूल्हे हिलाने लगी और मेरे लंड को अन्दर लेने लगी।
यह देखकर मैंने धीरे-धीरे सुरैया को चोदना शुरू किया। उसकी दबी हुई मादक आवाज़ 'आह्ह… आह्ह्ह… ह्ह्ह्ह्ह… से पूरा कमरा गूँजने लगा।
मैं अब उसे पूरे जोश से चोदने लगा, उसकी उत्तेजना से भरी आवाजें मुझे और उत्तेजित कर रही थी, तो मैं पूरे जोश में उसे चोदने लगा।
वो बोली- प्लीज धीरे ! मैं यहीं पर हूँ कहीं भाग नहीं रही हूँ !
और मुस्कुराने लगी।
2-3 मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे कसकर पकड़कर अपने तरफ खींच कर जकड़ लिया और 'आह्ह्ह… आह्ह… ह्ह… ह्ह्ह…' करके वो झड़ गई और वो निढ़ाल हो गई।
मेरा अभी बाकी था, तो मैं रूका नहीं, मैं चोदे जा रहा था।
वो बोली- बस करो अब !
मैं बोला- मेरा नहीं हुआ है, मेरी जान !
और मैं उसे चोदने लगा, अगले 2 मिनट धकाधक चुदाई के बाद मैंने अपना माल सुरैया की चूत के उपर गिरा दिया। हम दोनों काफी संतुष्ट थे।
वो मेरे सीने पर अपना सर रखकर बोली- आज आपने मुझे लड़की से औरत बनने का सुख दिया है, भले ही मेरी उम्र अभी कम है !
फिर वो उठी, खुद को साफ किया, ठीक किया और मुझे एक चुम्बन करके चली गई।
उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम चुदाई करके खुद को तृप्त करते !
यह थी मेरे पड़ोसी की बहन के साथ की चुदाई की मस्ती भरी कहानी

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