दो बहनों की चुदाई !

मेरा नाम विश्राम है, मैं एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ परन्तु सरकारी नौकरी मिलने के बाद गाँव में कभी-कभी जाना होता था। जब भी जाता हूँ तो 10-15 दिन रुककर आता हूँ। तो मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि मैंने सबसे पहले जिस लड़की चुदाई की वह मेरे पड़ोस की ही लड़की थी, जो मेरी बेटी समान लगती है।

मेरे घर के पीछे वाले घर में दो लड़कियाँ हैं, जो बहुत ही गोरी-चिट्टी एकदम मलाई की तरह हैं। बड़ी की उम्र 19 साल है जिसका नाम रीना है व छोटी का नाम पूजा है जो रीना से बस एक बरस छोटी है मगर फिगर मस्त है और रीना से चौगुनी सुन्दर भी हैं जिसकी फोटो आप देख लो तो आप बगैर मुठ्ठ मारे न रह पाएँगे।

देखने में लम्बी, दूध की तरह गोरी, बड़े-बड़े मम्मे गेंद की तरह सूट में से बाहर निकलने की कोशिश में रहते हैं। रीना मुझसे घुल-मिल कर रहती थी।

मैं जब भी गाँव जाता था, खाने की चीजें जरूर ले जाता था। रीना मेरे घर आ जाती थी कि चाचा कुछ न कुछ खाने की चीज लाए होंगे। वैसे मैं उससे मजाक भी कर लिया करता था कि मैं आज कुछ नहीं लाया, तो वह मुझ से जिद करने लगती और मुझसे मस्ती लगती, तो मैं मौका देख कर धीरे से उसके मम्मों को जोर से दबा देता। तो वह कहती कि चाचा इनमें दर्द होता है इनको मत दबाओ। तो मस्ती-मस्ती में मेरा लण्ड तनकर खड़ा हो जाता था।

यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा। जब मैं अगली बार गाँव गया तो रीना के लिए एक अच्छी सी ब्रा व पैन्टी का सैट लेकर गया। वह पहले की तरह ही चीज के लिये जिद और मस्ती करने लगी।

तब मैंने कहा- तेरे लिये अबकी बार मैं एक अलग चीज लाया हूँ जो मैं उसको अकेले में देना चाहता हूँ।

तो रीना ने कहा- चाचा, मैं आज दिन में घर पर अकेली ही रहूँगी, मेरे घर आकर दे देना।

उसे ब्रा व पैन्टी को देने के लिए मैं उसके घर पर गया तब घर पर उसके अलावा और कोई नहीं था। वह अकेली थी और टी.वी. चला रखा था।

जैसे ही मैं अन्दर गया तो रीना ने टी.वी. बन्द कर दिया और कहा- चाचा, अन्दर आ जाओ, कोई नहीं है।

तो मैं रीना को देखता ही रह गया क्योंकि रीना ने जालीदार सलवार सूट पहन रखा था, जिसमें वो बहुत ही सुन्दर लग रही थी और उसके मम्मे सूट से बाहर अच्छी तरह उभार दे रहे थे। उसको देखकर मेरा औजार (लण्ड) भी तनकर खड़ा हो गया। मैंने देखा कि उसकी नजर मेरे लण्ड पर थी।

मैंने कहा- क्या देख रही हो रीना बेटी !

"नहीं.नहीं.. कुछ नहीं..." वह बोली।

और मैं अन्दर जाकर बैड पर बैठ गया। आज मेरा मूड रीना को चोदने का था। मैं पूरी तैयारी के साथ गया था। जेब में निरोध का पैकिट भी लेकर गया था। वह मेरे पास आई और चीज लेने के लिये जिद करने लगी और मस्ती करने लगी। मस्ती-मस्ती में मैंने उसके मम्मों को जोर से दबाया तो उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं समझ गया कि आज रीना चुदने के लिये तैयार है।

वह मेरी तलाशी लेने लगी तो उसने जेब में हाथ दिया तो उसे एक कण्डोम का पैकिट मिला, उसको बाहर निकाला और पूछा- चाचा यह क्या चीज है? क्या मेरे लिये लाये हो !

मैंने कहा- रीना बेटी यह मेरे काम की चीज है, जो बाद में काम आयेगी, तब बताऊँगा। आपके काम की तो यह है।

मैंने जेब से ब्रा व पैन्टी निकाल कर दिखाई, तो वह बहुत खुश हुई।

उसने मेरे गाल पर एक जोर से चुम्मा लिया और कहा- वैरी गुड चाचा, आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो। आज मेरी पसन्द की चीज लेकर आये हो।

मैंने कहा- रीना बेटी इनको पहन कर देखो। कहीं साईज छोटी-बड़ी तो नहीं है?

वह उनको पहनने के लिए अन्दर चली गई। थोड़ी देर बाद आवाज दी, "चाचा अन्दर आओ, यह ब्रा का हुक नहीं लग रहा है।"

मैं अन्दर गया तो कहा- चाचा पीछे से यह ब्रा का हुक नहीं लग रहा इसे आकर लगा दो।

तब मैं उसके पीछे खड़ा रहकर हुक लगाने लगा का नाटक करने लगा और धीरे-धीरे पीछे हाथ फेरने लगा तो रीना गर्म होने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो गया और फुफकार मारने लगा। मैंने मेरे लण्ड को पायजामा के अन्दर से निकाल कर रीना के चूतड़ों पर सटा दिया और रगड़ा लगाने लगा।

रीना बोली- चाचा मेरे पीछे यह क्या चुभ रहा है?

उसने अपना हाथ पीछे किया और मेरे लण्ड को पकड़ लिया और कहा- चाचा इसको अन्दर डाल लो कोई आ जायेगा तो क्या कहेगा।

"नहीं रीना बेटी ! अब यह तो तुम्हारी चूत के अन्दर ही जायेगा।"

और मैं रीना के गालों को चूमने लगा। रीना भी गर्म होने लगी और मेरे लण्ड को मसलने लगी। मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरना शुरु कर दिया और हाथ को धीरे-धीरे नीचे ले जाकर चूतड़ों को सहलाने लगा।

वह बहुत उत्तेजित हो चुकी थी और बोली- चाचा यह क्या कर रहे हो ! कोई देखेगा तो क्या कहेगा !

मैंने कहा- यहाँ हम दोनों के सिवाय और कौन है जो हमें देखेगा।

"मेरी मम्मी को बहुत देर हो गई है वह आती ही होगीं।"

मैंने कहा- रीना मैं तेरे लिये बहुत तड़पा हूँ, मैंने तेरे नाम से कई बार मुठ मारी है।

मैंने एक झटके के साथ मेरी बेटी रीना को पलंग पर लिटा दिया और उसके गालों को चूमने लगा और वो भी बराबर मेरा साथ दे रही थी। उसके बाद मैं उसके होंठों को चूसने लगा तब वह बहुत गर्म हो चुकी थी। मेरे पास समय बहुत कम था, जो भी करना था वह जल्दी करना था। क्योंकि उसकी मम्मी यानि कि मेरी भाभी आने वाली थी। मैंने उसकी ब्रा को अलग कर दिया और उसके मम्मों पर जीभ फेरने लगा। उसके मम्मे बिल्कुल टाईट गेंद की तरह थे, मैंने उनको जोर-जोर से मसला।

वह सिसकारियाँ भरने लगी और कहने लगी, "चाचा, अब जल्दी करो, मुझ से अब रहा नहीं जा रहा।"

रीना ने मेरी पैन्ट को खोला और मेरे लण्ड को बाहर निकाला तो रीना के होश उड़ गये, "अरे बाप रे ! यह इतना मोटा ! यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा ! मेरी चूत तो मासूम है। इसके आगे मेरी चूत तो फट जायेगी।"

मैंने धीरे से रीना के सलवार का नाड़ा खोला और सलवार को नीचे खिसका कर पैन्टी उतारी और उसकी चूत को चाटने लगा।चूत क्या थी एकदम चिकनी ! बाल तो उसके अभी उगने ही शुरु हुए थे। जो अभी मुलायम थे। रीना की चूत के दाने पर जीभ रखते ही रीना के शरीर में एकदम लहर सी दौड़ गई। मैंने रीना की चूत का दाना पूरा का पूरा मुँह में ले लिया। रीना की चूत रसीली होने लगी और एकदम से पानी छोड़ दिया। पूरा का पूरा गर्म-गर्म पानी मेरे मुँह के अन्दर चला गया, जो बहुत ही नमकीन लगा।

रीना की तड़प बढ़ती जा रही थी और कह रही थी, "चाचा अब देर मत करो और चोद डालो अपनी रीना बेटी को।"

मैंने अपना कण्डोम निकाल कर रीना बेटी को दिया और कहा- रीना बेटी, यह कण्डोम ले और इसको मेरे लण्ड के ऊपर चढ़ा दे।

कण्डोम के बारे में रीना अनभिज्ञ थी और मुझ से पूछा- चाचा इसको लगाने से क्या होगा ?

मैंने कहा- बेटी, इससे बच्चा ठहरने का डर नहीं रहेगा।

तो रीना ने मेरे लण्ड के ऊपर निरोध चढ़ा दिया और अपनी चूत के छेद पर सैट कर दिया। मैं धीरे-धीरे जोर देने लगा, रीना चिल्लाने लगी, "चाचा दर्द हो रहा है ! बाहर निकालो !"

मैं वहीं रुक कर धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करता रहा तो उसको मजा आने लगा।

तब उसने कहा- चाचा और अन्दर डालो न ! मजा आ रहा है।

तब मैंने जोर से एक झटका मारा तो पूरा का पूरा अन्दर चला गया और रीना बिटिया की चूत से खून की धार छूटी और चादर पर खून छप गया।

वह खून को देखकर घबरा गई और कहने लगी, "चाचा मैं मर जाऊँगी, लण्ड को बाहर निकाल लो। चाचा रहने दो ! मुझे बहुत जोर से दर्द हो रहा है।"

मैं उसको साँत्वना दे रहा था, "थोड़ी देर दर्द होगा फिर मजा आने लगेगा।"

तो वह इस बात से सहमत हो गई और मेरे को जोर से कस के पकड़ लिया और झटके पर झटके झेलने लगी।

अब वो मजे में सिसिया रही थी, "चाचा जोर-जोर से चोदो ! आज आपकी रीना बिटिया की चूत को फाड़ डालो ! इसको भोसड़ी से भोसड़ा बना दो !"

मैं पांच मिनट तक लगातार चोदता रहा तब रीना की चूत से गर्म-गर्म पदार्थ निकलने लगा तो मैं समझ गया कि रीना झड़ चुकी है। लेकिन मेरा पानी निकलने से पहले ही रीना ने मेरे लण्ड को बाहर निकाल दिया। मैंने तुरन्त लण्ड को रीना के मुँह में दे दिया और चुसाने लगा। तभी अचानक मुझे उसकी छोटी बहन पूजा दिखाई दी। वह पता नहीं कब से खड़ी-खड़ी यह खेल देख रही थी।

मैंने पूजा को अन्दर बुलाया और कहा- बेटी पूजा आपने जो देखा है वह किसी को मत बताना।

तो वह कहने लगी- चाचा मुझको भी आप लण्ड चुसाओ तो यह बात मैं किसी से नहीं कहूँगी।

मैंने समझाया, "बेटी अभी तू बच्ची हैं तू बड़ी हो जाएगी तब चुसा दूँगा।"

लेकिन वह जिद करने लगी और कहने लगी, "मम्मी से कहूँगी।"

तो मैंने उससे कहा, "ठीक है तू भी चूस लेना।"

और मैं वापिस रीना के ऊपर छा गया और रीना की चूत पर फिर लण्ड रखकर जोर से धक्का मारा और लगातार 15 मिनट तक चोदता रहा। आखिर में मेरे लण्ड ने जवाब दे दिया और मेरा पानी निकल गया।

मैंने लण्ड को बाहर निकाल कर पूजा के मुँह में दे दिया। पूजा मेरे लण्ड को बड़े मजे से चूस रही थी और जो वीर्य निकला था, उसको भी अपने अन्दर गटक गई और कहने लगी, "चाचा कल मेरे साथ भी ऐसे ही करना, मजा आता है।"

तो मैंने पूजा से कहा, "बेटी, पहले तू अपनी चूत तो दिखा कि तेरी चूत में मेरा लण्ड घुसेगा या नहीं?"

उसने दिखाई तो मैंने उसकी चूत में अंगुली डालकर देखा तो उसकी चूत सारी की सारी गीली हो रही थी क्योंकि उसका पानी हमारा खेल देखते-देखते ही निकल गया था।

तो मैंने पूजा से कहा- बेटी तेरी चूत को कल काम में लूंगा, तेल लगाकर तैयार रहना।

बाद में हम तीनों ने बैड-शीट पर लगे खून को धो कर साफ किया और टी.वी. देखने लगे।

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